-कोरोना आइसोलेशन वार्ड का डीएम ने किया निरीक्षण, सतर्कता के निर्देश
- आइसोलेशन वार्ड के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था के दिए निर्देश
संतकबीरनगर। कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में जिले का स्वास्थ्य महकमा अलर्ट पर है। इसे लेकर जिला चिकित्सालय में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जिलाधिकारी रवीश गुप्त ने गुरुवार को वार्ड का जायजा लिया। इस दौरान उन्होने पूरी सतर्कता बरतने के साथ ही आइसोलेशन वार्ड के लिए सबसे अलग शौचालय की भी व्यवस्था करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी के निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से हरकत में आ गया और जो भी थोड़ी बहुत कमियां थीं उन्हें दूर किया।
जिलाधिकारी ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के लिए बनाए गए वार्ड का चेकलिस्ट के साथ निरीक्षण किया। इस दौरान सीएमओ डॉ हरगोविन्द सिंह ने बताया कि नोवल कोरोना वायरस 2019 चाइना की निगरानी के आवश्यक उपाय कर लिए गए हैं। इस वायरस के मनुष्य में संक्रमण से मनुष्यों में फ्लू जैसे लक्षणों के प्रकट होने की संभावनाएं व्यक्त की गई हैं। संयुक्त जिला चिकित्सालय में स्वाइन फ्लू / कोरोना वायरस के आईसोलेशन वार्ड तैयार कर लिया गया है। समस्त बचाव के उपकरण, पीपीई ( परसनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेण्ट किट , एन – 95 मास्क, ट्रिपल लेयर मास्क व कैप्सूल की प्रचुर मात्रा समस्त चिकित्सा इकाइयों में उपलब्ध है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्हा के नेतृत्व में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन कर लिया गया है जो लक्षणों के आधार पर रोग की निगरानी व निरोधात्मक कार्यवाही करेगी। वर्तमान में चीन राष्ट्र से वापस आये हुए व्यक्तियों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाने पर उन्हें सम्भावित मांना जाएगा। कोई भी संक्रमित व्यक्ति कहीं भी आसपास दिखाई दे तो तुरन्त ही इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें। यही नहीं आशा कार्यकर्ताओं को भी सचेत किया गया है कि उनके गांवों में या आसपास कोई व्यक्ति ऐसा मिले तो तुरन्त ही सूचना दें। ऐसे व्यक्ति जिन्होने पिछले 14 दिनों के दौरान चीन की यात्रा की है और उसे अचानक बुखार, खांसी अथवा सांस लेने में परेशानी होती हो तो वे तत्काल अपने निकटवर्ती राजकीय चिकित्सालय को सूचना देकर निशुल्क जांच व उपचार कराएं। ऐसे व्यक्ति जिन्होने चीन की यात्रा की है लेकिन उसके अन्दर ये तीनों लक्षण न हों तो वह 28 दिनों तक अपना आवागमन यथासंभव सीमित रखें। इस दौरान सीएमओ डॉ हरगोविन्द सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वाई पी सिंह, एसीएमओ आरसीएच डॉ मोहन झा, जिला सर्विलांस अधिकारी व रैपिड रिस्पांस टीम के प्रभारी डॉ ए के सिन्हा, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह, एसीएमओ वेक्टर बार्न डॉ वी पी पाण्डेय के साथ ही अन्य लोग भी उपस्थित रहे।
कोरोना से कैसे बचें?
1. हाथ को बार-बार साबुन और पानी से धोएं
2. सैनिटाइजर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें
3. एक बार इस्तेमाल टिशूज़ को दोबारा इस्तेमाल ना करें
4. खांसते और छींकते वक्त टिशू का इस्तेमाल करें
5. टिशू ना होने पर खांसते वक्त बाजू का इस्तेमाल करें
6. सामने की ओर मुंह करके ना छींके और ना हीं खांसे
7. बिना हाथ धोए अपनी आंख, नाक और मुंह को ना छुएं
8. जो बीमार हो उनके सम्पर्क से बचने की कोशिश करें
9. लोगों से दूरी बनाएं और हाथ मिलाने से बचें
10. बुखार और खांसी होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें
यह है कोरोना का हेल्पलाइन नम्बर
कोरोना से बचाव के लिए हेल्प लाइन भी जारी की गई है। इस हेल्प लाइन नम्बर 18001805145 पर सम्पर्क किया जा सकता है। यह हेल्प लाइन डीजी कण्ट्रोल रुम लखनऊ का है। कोरोना से सम्बन्धित कोई भी जानकारी हो या फिर किसी को कोई परेशानी हो तो वे वहां पर निदान के लिए तत्काल सम्पर्क किया जा सकता है।
रैपिड रिस्पांस टीम का गठन
सीएमओ ने कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर एक रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्हा इस टीम के प्रमुख होंगे। टीम में एसीएमओ वेक्टर वार्न डॉ वी पी पाण्डेय, पैथालॉजिस्ट डॉ रामानन्द, फिजीशियन डॉ एस डी ओझा, विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्विलांस मेडिकल आफिसर व डॉ मुबारक अली, एपीडेमियोलाजिस्ट ( महामारी रोग विशेषज्ञ ) शामिल हैं।
नहीं है दवा, लक्षणों के आधार पर इलाज
एपीडेमियोलाजिस्ट डॉ मुबारक अली ने बताया कि कोरोना की कोइ दवा नहीं है। बीमार आदमी के शरीर के अन्दर व्याप्त लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता है। मसलन अगर संक्रमित व्यक्त्िा को बुखार है तो बुखार का, सर्दी हे तो सर्दी की दवा दी जाती है। अलग से इसकी कोई भी दवा नहीं है।
संक्रमण के खतरे को कम करने के उपाय
इसके बारे में एसीएमओ वेक्टर बार्न डॉ वीपी पाण्डेय ने बताया कि सक्रमण के खतरे को कम रने के लिए अपने हाथ साबुन और पानी या अल्कोहल युक्त हैण्ड रब से धुलें। खांसते और छींकते हुए अपने नाक और मुंह को टिश्यूपेपर या मुड़ी हुई कुहनी से ढंके। जिन्हें सर्दी या फ्लू के लक्षण हों, उनसे करीबी सम्पर्क बनाने से बचें। मीट और अण्डे को अच्छे से पकाएं। जंगली और खेतों में रहने वाले जन्तुओ यथा मुर्गी, सूअर और चमगादड़ों आदि के साथ असुरक्षित सम्पर्क न बनाएं।
क्या होता है आइसोलेसन वार्ड
आइसोलेन वार्ड इसमें संक्रमित मरीजों को रखा जाता है। इस वार्ड में केवल चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ ही जा सकते हैं। ये पूरी तरह से अलग होता है तथा चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ भी इसमें पूरे सुरक्षा उपकरणों के साथ ही जाते हैं।
आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी रवीश गुप्त
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