प्रतिदिन दो करोड़ रुपए की बिक्री करने वाला महकमा, अब हो गई आधी से भी कम
बस्ती। दुकान खुलने के पहले दिन भले ही सुरा प्रेमियों की भीड़ ने लॉकडाउन की पाबंदियां तोड़ डाली हों, लेकिन अब मयखानों से कोलाहल गायब है। शहर से लेकर गांव तक की बाजार से शराब का नशा उतर गया है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते जिले में 50 फीसद मदिरा की बिक्री घट गई है। इससे जहां आबकारी विभाग के राजस्व को घाटा हो रहा है, वहीं दुकानदार भी बेहद परेशान हैं।
आबकारी अधिकारियों का दावा है कि सामान्य दिनों में प्रतिदिन जिले भर में करीब दो करोड़ रुपये से अधिक की अंग्रेजी, देसी शराब और बीयर की बिक्री होती थी। अब रोजाना लगभग एक करोड़ से कम की शराब बिक रही है। देसी शराब खरीदने वाले ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर होते हैं, जिन्हें काम नहीं मिल रहा है। बीयर पीने वालों में कतिपय छात्र भी होते थे, जो इस वक्त शहर में नहीं है। वहीं अंग्रेजी शराब के शौकीन भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, जिसका असर मदिरा की बिक्री पर पड़ रहा है।
मॉडल शॉप में कैंटीन बंद होने और दुकानों के बाहर खड़े होकर पीने पर बंदिश लगने से भी शराब की खपत पर असर पड़ा है। लाखों रुपये बतौर लाइसेंस फीस जमा करने वाले अनुज्ञापी (दुकानदार) मुनाफा न होने से आबकारी विभाग पर बिक्री बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं और कुछ तो दुकान चलाने में रुचि भी नहीं रख रहे हैं। फिलहाल जिला आबकारी अधिकारी नवीन सिंह का कहना है दुकान खुलने के पहले दिन करीब दो करोड़ की शराब बिकी थी, लेकिन अब 50 फीसद से अधिक शराब की बिक्री घट गई है।
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