बस्ती। खरीफ की फसलों में मुख्यतः धान एवं मक्का के फसलों में विभिन्न प्रकार के कीट/रोग एवं खरपतवार की समस्या से नियंत्रण/ प्रबंधन कर फसलों को उनके द्वारा हानि पहुचाने से बचाया जा सकता है। उक्त जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) राम बचन राम ने बताया है कि धान के फसल में सकरी एवं चौड़ी पत्ती खरपतवार के नियंत्रण के लिए प्रटिलाक्लोर 50 प्रति ई.सी. 1.5 लीटर अथवा एनीलोफॉस 30 प्रति० ई०सी० 1.25 से 1.5 लीटर पाइराजोसल्फ्यूरान इथाइल 10 प्रति डब्लू०पी० 0.15 किग्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर फ्लैटफैन नाजिल से 2 इंच भरे पानी में रोपाई के 3 से 5 दिन में छिडकाव करना चाहिए। विसपायरीबैंक सोडियम 10 प्रति एस०सी० 0.200 लीटर रोपाई से 15-20 दिन बाद की स्थिति में 300 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कराना चाहिए।
उन्होने बताया कि धान में दीपक एवं जड़ की सूडी के नियंत्रण हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 प्रति० ई०सी० 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। खैरा रोग के नियंत्रण हेतु 5 किग्रा जिंक सल्फेट को 20 किग्रा0 यूरिया अथवा 2.5 किग्रा० बुझे हुए चुने को प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।
उन्होने बताया कि फाल्स स्मट या मिथ्या कडुआ रोग (हल्दिया रोग) के नियंत्रण हेतु कापर आक्सीक्लोराइड 77 प्रति डब्लू०पी० की 02 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर अथवा पिकोसीस्ट्रोबिन 7.05 प्रति $ प्रोपीकोनाजोल 11.7 प्रति0 एस०सी० की 01 किग्रा0 अथवा कार्बेडाजिम 50 प्रति० डब्लू०पी० की 500 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500-700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
मक्का में तना बेधक कीट- मक्का के फसल में तना बेधक कीट का प्रकोप 10 प्रति मृतगोभ की आर्थिक क्षति स्तर पर डाईमेथोएट 30 प्रति० ई०सी० अथवा क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल 18.5 प्रति एस०सी० 200 मिली० अथवा इन्डोक्साकार्ब 500 मिली० प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।
उन्होने बताया कि फाल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण हेतु स्पीनेटोरम 11.7 प्रति० एस०सी० 0.5 मिली० अथवा क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल 18.5. प्रति० एस०सी० 0.4 मिली० अथवा थायोमेथाक्साम 12.6 प्रति.$लैम्ब्डासाईहैलोथ्रिन 9.5 प्रति० जेड०सी० 0.25 मिली० को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर भूहा/टेसल की अवस्था से पूर्व छिडकाव करना चाहिए।
उन्होने बताया कि धान में दीपक एवं जड़ की सूडी के नियंत्रण हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 प्रति० ई०सी० 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। खैरा रोग के नियंत्रण हेतु 5 किग्रा जिंक सल्फेट को 20 किग्रा0 यूरिया अथवा 2.5 किग्रा० बुझे हुए चुने को प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।
उन्होने बताया कि फाल्स स्मट या मिथ्या कडुआ रोग (हल्दिया रोग) के नियंत्रण हेतु कापर आक्सीक्लोराइड 77 प्रति डब्लू०पी० की 02 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर अथवा पिकोसीस्ट्रोबिन 7.05 प्रति $ प्रोपीकोनाजोल 11.7 प्रति0 एस०सी० की 01 किग्रा0 अथवा कार्बेडाजिम 50 प्रति० डब्लू०पी० की 500 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500-700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
मक्का में तना बेधक कीट- मक्का के फसल में तना बेधक कीट का प्रकोप 10 प्रति मृतगोभ की आर्थिक क्षति स्तर पर डाईमेथोएट 30 प्रति० ई०सी० अथवा क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल 18.5 प्रति एस०सी० 200 मिली० अथवा इन्डोक्साकार्ब 500 मिली० प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।
उन्होने बताया कि फाल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण हेतु स्पीनेटोरम 11.7 प्रति० एस०सी० 0.5 मिली० अथवा क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल 18.5. प्रति० एस०सी० 0.4 मिली० अथवा थायोमेथाक्साम 12.6 प्रति.$लैम्ब्डासाईहैलोथ्रिन 9.5 प्रति० जेड०सी० 0.25 मिली० को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर भूहा/टेसल की अवस्था से पूर्व छिडकाव करना चाहिए।
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