जितेन्द्र पाठक
संतकबीरनगर। व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने कहा कि डिजिटल युग में प्रिंट मीडिया के समक्ष बहुत बड़ी चुनौतिया आ रही हैं। आज पूरी दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां पर मीडिया तथा संचार क्रांति ने अपनी पैठ ना बना ली हो। हम कहीं भी जाएं संचार किसी न किसी रूप में हमारे साथ ही या हमारे आसपास रहता है। लोकतंत्र का सजग प्रहरी की मीडिया की आजादी है। कहा कि देश को आजादी दिलाने में प्रिंट मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है। वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया, फेसबुक, ट्विटर व्हाट्सएप आदि का हमारे जीवन में प्रवेश होने से प्रिंट मीडिया के समक्ष कई सारी चुनौतियां आ गई हैं। प्रिंट मीडिया में जहां एक अखबार को छापने भी 10 लोगों की आवश्यकता होती थी डिजिटल युग में वही काम दो लोग कर रहे हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ी है तथा रोजगार के अवसर भी कम हुए हैं। इसके साथ ही मीडिया का जो व्यापार पहले था वर्तमान में वह कम हुआ है आज आम आदमी अपने व्यापार का प्रचार प्रसार और उसकी क्वालिटी की जानकारी कम दामों में तथा कम समय में इलेक्ट्रॉनिक चैनल, टीवी, फेसबुक, व्हाट्सएप से कर ले रहा है। जिससे भी प्रिंट मीडिया को भारी हानि उठानी पड़ रही है
शिक्षिका सोनिया ने कहा कि आज प्रिंट मीडिया के संपादक, प्रकाशक के सामने आर्थिक संकट भी आ रहा है। प्रिंट मीडिया से प्रकाशित समाचार पत्रों के लिए सुबह से रात तक घटनाओं तथा समाचारों के लिए सूत्र विश्वसनीयता के साथ खोजने होते हैं। लेकिन आज डिजिटल मीडिया के समय में सूचनाएं तथा संदेश पल-पल लोगों तक पहुंच रहे हैं इसके बाद भी प्रिंट मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है। समाचार के लिए कब, क्यों, कैसे, कहां, कौन प्रश्नवाचक शब्दों को समाहित करने के बाद ही समाचार प्रकाशित किया जाता है और कम शब्दों में संपूर्ण सार प्रदान करने के लिए बहुत कठिन मेहनत करनी होती है तथा समाचार पत्र प्रकाशित करने के साथ-साथ पाठकों तक पहुंचाना भी कठिन काम है। आज हमारे मीडिया कर्मी अपनी जान को जोखिम में डालकर खबरों को एकत्रित करते हैं तथा हमारे सामने लाते हैं। एक बेहतर अखबार के लिए मजबूत कंटेंट होना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं है कि टेक्नोलॉजी के बदलने से, टीवी, सोशल मीडिया के आने से अखबारों का भविष्य खतरे में है यदि ऐसा होता तो अखबार छपते ही नहीं। अखबारों को उस कंटेंट पर काम करना चाहिए जो वेबसाइट या टीवी चैनलों पर उपलब्ध नहीं होते हैं। प्रिंट मीडिया का भविष्य हमेशा रहा है और आगे भी रहेगा।
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