बस्ती। वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डॉ0 वीरेन्द्र त्रिपाठी ने कोरोना वायरस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चीन में एक वैज्ञानिक द्वारा शोध करते समय वायरस की नई प्रजाति का जन्म हुआ जिसका नाम कोरोना रखा। अनुसंधान के पश्चात उड़ने वाले जानवर चमगादड़ और साँपो पर इस वायरस को प्रयोग किया तो पता चला यह वायरस पक्षियों और सरीसृपों पर काफी सक्रियता से फैलता है। पक्षी,सरीसृप, छोटे बड़े जानवरों, पक्षियों के अंडों के माध्यम से मनुष्यों के शरीर में पहुँच कर अपना प्रभाव दिखाता है। डॉ0 त्रिपाठी ने आगे बताया कि सबसे पहले नजला, कफ, बुखार के साथ फेफड़ों में कफ इकठ्ठा होने लगता है, स्वास लेने में कठिनाई होने लगती है, न्यूमोनिया हो जाता है। अंत में इस वायरस का प्रभाव किडनी पर होता है, किडनी फेल हो जाती है और पेसेंट की दर्दनाक मौत हो जाती है।
डॉ0 त्रिपाठी ने बताया अभी तक कि जानकारी के अनुसार यह वायरस ठंडे मौसम में तेजी से फैलता है। मांस, मछली, मुर्गे, अंडे आदि में यह वायरस सुगमता से पहुँच जाता है। गर्मी अधिक होने 26 से 28 डिग्री टेम्परेचर होने पर यह वायरस नष्ट हो जाते है। यह वायरस हवा के द्वारा नही फैलता,यह वायरस जानवरों के शरीर पर मनुष्यों के हाथ पैर या कपड़ों या जानवरों के माँस के द्वारा के द्वारा फैलता है।
बचाव-पानी उबालकर पिये। हाथ मिलाने या कही सार्वजनिक स्थान से आने के बाद कपड़े बदल लें, सूती कपड़े गर्म पानी में डाल दें। किसी से हाथ मिलाने पर हाथों को साबुन से धो लें। जब तक कोरोना का प्रभाव विस्तार पर है,नानवेज खाने से दूरी बना लें। सन्देह होने या बचाव के लिये होम्योपैथ की दवा आर्सेनिक अल्ब30 और इयूपीटोरियम पर्फ200 लें।अवश्य फायदा होगा।
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