- सरकारी कार्यालयों में फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए दो कर्मचारी नियुक्त
- 27 मई तक कर्मचारियों व अधिकारियों को खिलाएंगे फाइलेरिया की दवाएं
संतकबीरनगर।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 12 मई से चल रहा एमडीए चक्र 27 मई तक चलेगा। इसी क्रम में अब सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए एक खास अभियान चलेगा। इसके लिए खास तौर पर दो कर्मचारियों की तैनाती की गयी है।
सीएमओ ने कहा कि पूरी गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलानी है। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इससे अछूता नहीं रहना चाहिए। कार्यक्रम के निष्पादन में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
फाइलेरिया के कारण
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ( वेक्टर बार्न डिजीज ) डॉ वी पी पाण्डेय बताते हैं कि यह बीमारी मच्छरों द्वारा फैलती है, खासकर परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के कीटाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
दवा देते समय यह वातें रखें ध्यान
जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने कहा कि जिस भी व्यक्ति को दवा देनी है उसकी आयु दो वर्ष से कम न हो । दवा देते समय ध्यान रखें कि लाभार्थी गर्भवती न हो या फिर किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित न हो। इन सारी बातों को पूरी तरह ध्यान देना होगा। फाइलेरिया की डोज दो साल से 5 साल के बच्चों के लिए 100 मिलीग्राम की एक गोली, 6 साल से 14 साल तक के बच्चों के लिए दो गोलियां व 15 साल से अधिक आयु के लोगों के लिए तीन गोलियों की खुराक तय की गयी है।
पांच साल तक लगातार दवा खाकर बच सकते हैं रोग से
फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को दिव्यांग बना रही है। यह जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। इस बीमारी को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। साल में एक बार पांच साल तक अगर कोई व्यक्ति फाइलेरिया रोधी दवा खा ले तो उसे फाइलेरिया नहीं होगा ।
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