बस्ती। 1971 के विजय दिवस के अवसर पर सोमवार को सोशल क्लब अध्यक्ष अनिल कुमार पाण्डेय के संयोजन में कारगिल शौर्य स्तम्भ पर माल्यार्पण कर शहीदों को नमन् किया गया। अनिल पाण्डेय ने कहा कि 1971 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान का एक हिस्सा था जिसको 'पूर्वी पाकिस्तान' कहते थे। वर्तमान पाकिस्तान को 'पश्चिमी पाकिस्तान' कहते थे। कई सालों के संघर्ष और पाकिस्तान की सेना के अत्याचार के विरोध में 'पूर्वी पाकिस्तान' के लोग सड़कों पर उतर आए थे। लोगों के साथ मारपीट, शोषण, महिलाओं के साथ बलात्कार और खून-खराबा लगातार बढ़ रहा था। इस जुल्म के खिलाफ भारत बांग्लादेशियों के बचाव में उतर आया। 16 दिसंबर की तारीख आते ही हर भारतीय को साल 1971 याद आ जाता है। यह वही तारीख जब भारत और पाकिस्तान युद्ध मेंं भारत की सबसे बड़ी जीत हुई थी। 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरफील्ड्स पर हमला किया था। इसके बाद यह युद्ध शुरू हुआ और महज 13 दिन में भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान को खदेड़ दिया था। संयोजक अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में दुश्मन की 4 सैन्य टुकड़ी होने के बाद भी भारतीय जांबाज आगे बढ़ते रहे और अपना कब्जा जमा लिया। बांग्लादेश को आखिरकार 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्ति मिली। विजय दिवस पर शहीदों को नमन् करने वालों में रामानन्द नन्हें, उमेश श्रीवास्तव, मनमोहन श्रीवास्तव 'काजू' अमर सोनी, आलोक चौरसिया, राहुल पटेल, हरीश कुमार, सूरज गुप्ता, रमेश गुप्ता आदि शामिल रहे।
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