सांसारिक संबंध छूटने पर ही ब्रह्म संबंध जुड़ता है - आचार्य धरणीधर

जितेन्द्र पाठक
संतकबीरनगर। जिले के विकासखंड बघौली अंतर्गत बखिरा बाजार में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में अयोध्या से आए कथा व्यास आचार्य धरणीधर जी ने राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए कह कि परीक्षित राजा का संसार से आसक्ति नष्ट हो सके और मन कृष्ण लीला में तन्मय हो जाए। तभी उसके मन का वियोग दूर हो सकता है। सांसारिक संबंध छूटने पर ही ब्रह्म संबंध जुड़ता है ।यदि सांसारिक विषयों में सच्चा आनंद होता तो यह सब कुछ छोड़कर निद्रा की इच्छा ही नहीं होती। श्री कृष्ण कथा ऐसी है कि जगत को भी भुला देती है। जगत में रहना भी है और उसे भुगतना भी है संसार को छोड़ कर कहां जाओगे ।जहां भी जाओगे संसार साथ-साथ आएगा।
कहा कि संसार को छोड़ना तो नहीं है किंतु उसे मन से निकाल बाहर करना है ।संसार में रहते हुए ही उससे अलग ही रहना है भागवत की कथा भूख प्यास और सांसारिक झंझटो को भुला देती है। इस कथा में हास्य श्रृंगार, करुण, भयानक, आदि सभी रस भरे हुए हैं क्योंकि श्री कृष्ण स्वयं ही रस स्वरूप हैं ।बाल लीला हास्य रस ।रासलीला में श्रृंगार रस। चाणूर मुष्टिक मोक्ष में वीर रस यही विशेषता है।कृष्ण कथा में सर्वश्रेष्ठ रस प्रेम रस भरा हुआ है ।वसुदेव देवकी कारावास में भी जागृत है ।जबकि हम तो सोए ही रहते हैं हमारा जीव कारागृह के एकांत में जागृत होने की अपेक्षा सोया ही रहता है। संसार में जो जागृत रहता है वही भगवान को पा सकता है ।भगवान कृष्ण का प्राकट्य उत्सव सभी भक्तों ने धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य यजमान राजेश सिंह ठेकेदार, अमरनाथ सिंह,बृजेश सिंह, अवधेश सिंह, दीपक सिंह,टिल्लु राय, फुलचंद राय, सोनू तिवारी लाल बहादुर सिंह, हरिराम सिंह, पवन कसेरा, ओमप्रकाश सिंह, ध्रुव नारायण चौधरी, पिंटू शर्मा समेत तमाम लोग मौजूद रहे है।

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